तिरुपति बालाजी मंदिर : आस्था का प्रसाद तिरुपति लड्डू (Tirupati Laddu)

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India News September 19, 2024 7:43 pm IST

 

आंध्र सरकार ने तिरुपति के लड्डू  (Tirupati Laddu) में पशु वसा को लेकर विवाद में प्रयोगशाला रिपोर्ट का हवाला दिया

केंद्र सरकार की एक प्रयोगशाला की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि घी में मछली के तेल, गोमांस लोंगो और चरबी के निशान थे; अंतिम एक अर्ध-ठोस सफेद वसा उत्पाद है जो सुअर के वसायुक्त ऊतक को प्रस्तुत करके प्राप्त किया जाता है.

तिरुपति बालाजी मंदिर : आस्था का प्रसाद तिरुपति लड्डू (Tirupati Laddu)

(विभिन्न स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर आधारित, स्वतः / वैज्ञानिक आकलन उपरांत ही अनुकरणीय योग्य)

मेंहदीपुर बालाजी हनुमान जी का मंदिर है, वहीं तिरुपति बालाजी विष्णुजी के एक रूप का। एक ही नाम ईश्वर के हो सकते हैं. दरअशल बालाजी भगवान् का नाम नहीं है बालाजी शब्द का अर्थ है बल के स्वामी। जिस प्रकार हनुमान भगवान् असीम बल के स्वामी है इसलिए उन्हें बालाजी के नाम से भी जाना जाता है ।

तिरुपति बाला मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा अलौकिक है। यह विशेष पत्थर से बनी है। यह प्रतिमा इतनी जीवंत है कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे भगवान विष्णु स्वयं यहां विराजमान हैं। भगवान की प्रतिमा को पसीना आता है, पसीने की बूंदें देखी जा सकती हैं।

भक्त भगवान की आँखों में सीधे नहीं देख सकते क्योंकि वे ब्रह्मांडीय ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं । यही कारण है कि भगवान वेंकरेश्वर की आँखें एक सफ़ेद मुखौटे से बंद रहती हैं। लेकिन हर गुरुवार को, आँखें अपेक्षाकृत छोटी होती हैं, इसलिए मुखौटा हटा दिया जाता है, और भक्त देवता की आँखों को देख सकते हैं।

तिरुपति मंदिर आंध्र प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक है और इसकी एक खास पहचान यहाँ की प्रसिद्ध तिरुपति लड्डूप्रसाद के रूप में है। इस लड्डू को दुनिया भर में तिरुपति बालाजी लड्डूके नाम से भी जाना जाता है। यह प्रसाद केवल आस्था और धार्मिकता से नहीं जुड़ा है, बल्कि इसकी गुणवत्ता, स्वाद और निर्माण प्रक्रिया इसे अद्वितीय बनाती है। तिरुपति बालाजी मंदिर में लड्डू के निर्माण के लिए एक विशेष ‘लड्डू लैब’ भी है, जो इसकी उच्च गुणवत्ता और स्वच्छता सुनिश्चित करती है। आइए, इस लेख में तिरुपति लड्डू की विस्तार से चर्चा करें, इसके इतिहास, निर्माण प्रक्रिया, सामग्री, और लड्डू लैब की भूमिका पर ध्यान दें।

धार्मिक दृष्टिकोण से, तिरुमाला (तिरुपति श्री) वेंकटेश्वर मंदिर अत्यधिक पूजनीय है। हर साल दुनिया भर से भक्त मंदिर में दर्शन करने आते हैं। किंवदंती है कि अंधकार युग (कलियुग) में, श्री वेंकटेश्वर वरदानों के दाता थे, और लोग उनका आशीर्वाद लेने के लिए यहाँ आते थे।

कहते हैं कि किसी काल में श्रीहरि विष्णु ने वेंकटेश्वर स्वामी के रूप में अवतार लिया था। यह भी कहा जाता है कि कलयुग के कष्ट से लोगों को बचाने के लिए उन्होंने यह अवतार लिया था। इसीलिए भगवान के इस रूप में मां लक्ष्मी भी समाहित हैं इसीलिए यहां बालाजी को स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र पहनाने की यहां परम्परा है।

तिरुपति लड्डू का इतिहास

तिरुपति लड्डू का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। इस प्रसाद को तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर को अर्पित किया जाता है। लड्डू का वितरण 1715 में शुरू हुआ था, जब तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) की स्थापना की गई थी। तभी से यह लड्डू लाखों भक्तों के लिए एक पवित्र प्रसाद बन गया, जिसे घर ले जाकर भी भगवान का आशीर्वाद मानकर खाया जाता है।

तिरुपति लड्डू की विशेषता यह है कि इसे बनाने की प्रक्रिया और सामग्री पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है, और इसमें किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है। इसके बनाने का तरीका पारंपरिक रूप से पालन किया जाता है ताकि भक्तों को हर बार वही स्वाद और पवित्रता प्राप्त हो।

लड्डू निर्माण प्रक्रिया

तिरुपति लड्डू का निर्माण एक विशेष और बहुत ही सुरक्षित प्रक्रिया के तहत किया जाता है। इसे बनाने के लिए बड़ी मात्रा में सामग्री की आवश्यकता होती है, और इसके लिए एक विशेष टीम की नियुक्ति की जाती है जो इसे बनाती है। तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) लड्डू प्रसाद का निर्माण खुद करता है और इसके निर्माण की पूरी प्रक्रिया उच्च स्वच्छता मानकों के अनुसार होती है।

  1. मुख्य सामग्री:
    • बेसन (चने का आटा)
    • घी (शुद्ध घी)
    • शक्कर (चीनी)
    • सूखे मेवे जैसे काजू, किशमिश
    • इलायची
    • तुलसी के पत्ते (प्रसाद को विशेष धार्मिक महत्व देने के लिए)
  2. बनाने की प्रक्रिया:
    • सबसे पहले बेसन को घी में हल्का भूनकर गोल आकार के लड्डू बनाए जाते हैं।
    • शक्कर की चाशनी तैयार की जाती है, जिसमें भुने हुए बेसन और सूखे मेवे मिलाए जाते हैं।
    • इन सभी सामग्री को सही मात्रा में मिलाकर लड्डू का आकार दिया जाता है।
    • इसके बाद इन लड्डुओं को तुलसी के पत्तों के साथ भगवान वेंकटेश्वर को अर्पित किया जाता है।

लड्डू लैब की भूमिका

तिरुपति लड्डू के निर्माण के लिए एक विशेष लैब बनाई गई है, जिसे लड्डू लैबकहा जाता है। यह लैब सुनिश्चित करती है कि लड्डू की गुणवत्ता और स्वच्छता में कोई कमी न हो। यह लैब टीटीडी द्वारा संचालित की जाती है और इसमें अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग किया जाता है ताकि प्रसाद को उच्चतम गुणवत्ता प्रदान की जा सके।

लैब की कार्यप्रणाली:

  1. गुणवत्ता नियंत्रण:
    • लड्डू बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली सभी सामग्री की जाँच की जाती है। सामग्री की शुद्धता और स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
    • लड्डू बनाने की प्रक्रिया के हर चरण में गुणवत्ता की निगरानी की जाती है ताकि प्रसाद में किसी प्रकार की अशुद्धि न हो।
  2. स्वास्थ्य मानकों का पालन:
    • लड्डू निर्माण के दौरान स्वच्छता का ध्यान रखने के लिए सभी कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
    • निर्माण इकाई में काम करने वाले सभी कर्मियों को स्वास्थ्य संबंधी जांच से गुजरना होता है।
    • प्रसाद बनाने की प्रक्रिया में किसी भी बाहरी सामग्री या प्रदूषण का प्रवेश न हो, इसके लिए विशेष सावधानी बरती जाती है।
  3. विशेष टेस्टिंग और मॉनिटरिंग:
    • लड्डू की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए टेस्टिंग लैब में हर बैच की जांच की जाती है। इसमें लड्डू के शुद्धता, स्वाद, और सामग्री की सही मात्रा का निरीक्षण किया जाता है।
    • मॉनिटरिंग सिस्टम के तहत लड्डू की उत्पादन प्रक्रिया को पूरी तरह से नियंत्रित किया जाता है, ताकि कोई भी मानवीय या तकनीकी त्रुटि न हो।

उत्पादन और वितरण

तिरुपति मंदिर में हर साल लाखों की संख्या में भक्त आते हैं, और इन्हें हर दिन प्रसाद स्वरूप लड्डू दिए जाते हैं। इस भारी मांग को पूरा करने के लिए तिरुपति लड्डू का उत्पादन एक बड़े पैमाने पर होता है। हर दिन हजारों किलो बेसन, घी और शक्कर का उपयोग करके लाखों लड्डू बनाए जाते हैं।

टीटीडी ने एक बहुत ही संगठित और व्यवस्थित प्रक्रिया अपनाई है, जिसके तहत भक्तों को प्रसाद आसानी से उपलब्ध हो सके। लड्डू का वितरण विशेष रूप से मंदिर परिसर में किया जाता है, और भक्त इसे एक पवित्र प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं।

लड्डू की पवित्रता और धार्मिक महत्व

तिरुपति लड्डू न केवल एक स्वादिष्ट मिठाई है, बल्कि यह भक्तों के लिए भगवान वेंकटेश्वर का आशीर्वाद भी है। इस प्रसाद को लेने से भक्तों को आध्यात्मिक संतोष मिलता है और यह धार्मिकता से भरा होता है। हर भक्त इसे भगवान की कृपा के रूप में मानता है और इसे ग्रहण करने के बाद परिवार के सदस्यों और प्रियजनों में भी वितरित करता है।

प्रसादपर्यन्त :

तिरुपति बालाजी मंदिर का लड्डू प्रसाद एक पवित्र और अनमोल वस्तु है, जिसे हर भक्त आदर और श्रद्धा के साथ ग्रहण करता है। लड्डू लैब में इसकी निर्माण प्रक्रिया की जांच और गुणवत्ता को सुनिश्चित किया जाता है, जिससे यह प्रसाद हर बार भक्तों को एक समान रूप में प्राप्त हो सके। तिरुपति लड्डू का स्वाद, गुणवत्ता, और धार्मिक महत्व इसे दुनियाभर के भक्तों के बीच खास बनाता है, और इसकी प्रसिद्धि निरंतर बढ़ती जा रही है।

पूर्वालोकन : माननीय भी दर्शनार्थी वेंकटश्वर भगवन के …

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तिरुपति में श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की।

Source : ANI : Nov 28, 2023, 11:57:00 AM IST

Taking to ‘X’, PM Modi said in a post, “तिरुमाला के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में 140 करोड़ भारतीयों के अच्छे स्वास्थ्य, कल्याण और समृद्धि के लिए प्रार्थना की.

ऋषभ पंत और अक्षर पटेल

भारतीय क्रिकेटरों ने नवंबर 2023 में मंदिर का दौरा किया और पारंपरिक पोशाक में फोटो खिंचवाई। पंत ने मंदिर को “अविश्वसनीय सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक ऊर्जा” के रूप में वर्णित किया।

 

नितिन गडकरी

केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता ने भगवान बालाजी से प्रार्थना करने के लिए मंदिर का दौरा किया। उन्होंने देश के विकास के लिए काम करने के लिए आशीर्वाद मांगा।

 

विजयनगर सम्राट कृष्णदेवराय

सम्राट 16 वीं शताब्दी में मंदिर में लगातार आगंतुक और दाता थे। उन्होंने सोना और गहने दान किए, जिससे आंतरिक मंदिर की छत को सोने का पानी चढ़ाने में मदद मिली। उन्होंने 1517 में मंदिर में अपनी मूर्ति भी स्थापित की।

 

तिरुपति बालाजी मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है और यह भगवान विष्णु के अवतार भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित है। यह हर साल लाखों आगंतुकों को आकर्षित करता है।

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