Election Updates : Election Dates announced in Jammu and Kashmir, Hariyana 2024
2024 के जम्मू-कश्मीर और हरियाणा चुनाव: राजनीतिक और विकासात्मक परिप्रेक्ष्य
2024 का साल भारतीय राजनीति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगा, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर और हरियाणा के लिए। चुनाव आयोग ने दोनों राज्यों में विधानसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा कर दी है, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। आइए, इन चुनावों के राजनीतिक और विकासात्मक पहलुओं पर एक विश्लेषण करते हैं।
जम्मू-कश्मीर: लोकतंत्र की पुनर्स्थापना की दिशा में कदम
जम्मू-कश्मीर में 2019 के बाद यह पहला चुनाव होगा जब राज्य का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया था और उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया था। इस चुनाव का उद्देश्य क्षेत्र में लोकतंत्र की पुनर्स्थापना है।
राजनीतिक परिदृश्य:
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक माहौल काफी जटिल है। यहां मुख्य रूप से दो प्रमुख धड़े हैं – नेशनल कांफ्रेंस (NC) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP)। नेशनल कांफ्रेंस का नेतृत्व फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला करते हैं, जबकि महबूबा मुफ्ती PDP की प्रमुख हैं। ये दोनों पार्टियां 2019 के बाद से केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ रही हैं। दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने जम्मू क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर ली है, और वह इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है।
विकासात्मक मुद्दे:
राज्य में विकास एक प्रमुख चुनावी मुद्दा रहेगा। धारा 370 हटाने के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में विकास कार्यों को प्राथमिकता दी है। बुनियादी ढांचे के विकास, उद्योगों की स्थापना, और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाएं शुरू की गई हैं। लेकिन यह देखना होगा कि ये विकास कार्य आम जनता को कितना प्रभावित करते हैं और क्या ये चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा पाते हैं।
हरियाणा: जातिगत राजनीति और विकास की धुरी
हरियाणा में जातिगत राजनीति हमेशा से ही चुनावों को प्रभावित करती आई है। 2024 के चुनाव भी इससे अछूते नहीं होंगे।
राजनीतिक परिदृश्य:
हरियाणा की राजनीति में तीन मुख्य धड़े हैं – भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस, और इंडियन नेशनल लोक दल (INLD)। BJP ने पिछले चुनाव में सत्ता हासिल की थी और मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री बने थे। कांग्रेस, जिसे भूपिंदर सिंह हुड्डा नेतृत्व करते हैं, इस बार फिर से सत्ता में वापसी की कोशिश करेगी। इनेलो, जो पिछले कुछ समय से कमजोर होती दिख रही थी, इस बार अपने आधार को फिर से मजबूत करने की कोशिश करेगी।
विकासात्मक मुद्दे:
हरियाणा में विकास भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा रहेगा। प्रदेश में कृषि संकट, बेरोजगारी, और औद्योगिक विकास के मुद्दे हावी रहेंगे। इसके अलावा, राज्य में महिलाओं की सुरक्षा, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर भी वोटरों की नजरें होंगी। सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं का प्रभाव भी इस चुनाव में दिखाई देगा, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में।
2024 के चुनावों में दोनों राज्यों के परिणाम भारतीय राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण होंगे। जहां जम्मू-कश्मीर में यह चुनाव लोकतंत्र की पुनर्स्थापना का प्रतीक होगा, वहीं हरियाणा में जातिगत समीकरण और विकास की धुरी पर आधारित राजनीतिक लड़ाई होगी। दोनों राज्यों में राजनीतिक दलों के लिए यह चुनाव अपने-अपने वर्चस्व को साबित करने का मौका होगा।
इन चुनावों के परिणाम राष्ट्रीय राजनीति पर भी गहरा प्रभाव डालेंगे, क्योंकि ये दोनों राज्य अपने-अपने तरीके से भारतीय राजनीति के महत्वपूर्ण हिस्से हैं।