भाग – 01
एनडीए (NDA) सरकार
(2014-19)
जेएमएम+कांग्रेस गठबंधन सरकार
(2019-24)
Jharkhand
एनडीए सरकार (2014-19):
1. गांव और ग्रामीण विकास
- प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना: एनडीए सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों को शहरों से जोड़ने के लिए सड़क निर्माण पर जोर दिया। गाँव-गाँव में सड़कें बनाई गईं।
- उज्ज्वला योजना: गरीब परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन उपलब्ध कराया गया, जिससे लाखों ग्रामीण महिलाओं को धुएं से राहत मिली।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण): ग्रामीण क्षेत्रों में आवासीय योजनाओं के तहत घर बनाए गए, जिससे गरीबों को आवास की सुविधा मिली।
2. गरीबी उन्मूलन
- गरीबों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना और उज्ज्वला योजना जैसी योजनाओं के माध्यम से गरीबी उन्मूलन के प्रयास किए गए। लेकिन, इन योजनाओं के पूर्ण कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ रहीं।
- 2014 से 2019 के बीच झारखंड में गरीबी उन्मूलन के लिए कई योजनाएँ लागू की गईं, लेकिन इसके बावजूद राज्य में गरीबी में कमी की रफ्तार धीमी रही। सरकारी आंकड़ों और योजनाओं के अनुसार, झारखंड सरकार ने इस अवधि में निम्नलिखित प्रमुख कार्यक्रमों के जरिए गरीबी उन्मूलन की कोशिश की
- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गरीबों को घर उपलब्ध कराना, जिससे बेघरों को राहत मिली।
- उज्ज्वला योजना के माध्यम से गरीब परिवारों को रसोई गैस सिलेंडर उपलब्ध कराना, जिससे ग्रामीण महिलाओं की जीवनशैली में सुधार हुआ।
- मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सुनिश्चित करना, जिससे गरीब परिवारों को वित्तीय मदद मिली।
- पोषण अभियान और मध्याह्न भोजन योजना के जरिए गरीब बच्चों को पोषक आहार उपलब्ध कराना।
- झारखंड में गरीबी दर 2014 में करीब 46% थी, जो 2019 तक घटकर लगभग 37% पर आ गई थी। हालांकि, यह आंकड़े राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक थे, क्योंकि पूरे भारत में गरीबी दर 2019 तक लगभग 22% के आसपास थी।
- इस दौरान 44% निवेश परियोजनाएं ठप होने के कारण रोजगार के अवसर पर्याप्त मात्रा में नहीं बन सके, जिसका गरीबी उन्मूलन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा
3. रोजगार
- प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में सड़कों का निर्माण हुआ, और कृषि और उद्योग में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाएँ शुरू की गईं। लेकिन 2016-19 के बीच 44% निवेश परियोजनाएं लंबित रही, जिससे बेरोजगारी दर में कमी नहीं आ सकी।
- 2014 से 2019 के बीच झारखंड सरकार ने रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चलाईं। इनमें मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (PMKVY) जैसी योजनाएं प्रमुख थीं, जो खासकर स्व-रोजगार को बढ़ावा देने पर केंद्रित थीं। इनका मुख्य उद्देश्य महिलाओं, अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य कमजोर वर्गों के लिए आजीविका के साधन विकसित करना था।
- इस अवधि के दौरान सरकारी नौकरियों में भर्ती भी जारी रही, जिसमें झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) और राज्य स्तरीय अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, पुलिस और प्रशासनिक सेवाओं में नियुक्तियाँ की गईं। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार का बड़ा हिस्सा कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों में ही रहा।
- महिलाओं के रोजगार के आंकड़ों की बात करें, तो 2018-19 तक ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 86% महिलाएं कृषि, वन और संबंधित कार्यों में लगी थीं, जबकि शहरी क्षेत्रों में महिलाओं का हिस्सा निर्माण और सेवा क्षेत्रों में बढ़ा था। हालाँकि, सरकारी नौकरियों में महिलाओं की भागीदारी कम थी, जो केवल 3-4% के करीब रही।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) के तहत बड़ी संख्या में श्रमिकों को रोजगार मिला, खासकर ग्रामीण इलाकों में। शिक्षा और कौशल विकास कार्यक्रमों ने युवाओं को नए अवसर प्रदान करने का प्रयास किया।
4. आदिवासी और पिछड़े वर्गों का विकास
- जनजातीय कल्याण योजनाएं: आदिवासी समुदायों के कल्याण के लिए कई योजनाएँ शुरू की गईं, जैसे छात्रवृत्तियां और आवासीय विद्यालयों का निर्माण।
- वन अधिकार अधिनियम: आदिवासी क्षेत्रों में वन अधिकार कानून को सख्ती से लागू किया गया, जिससे आदिवासियों को उनकी भूमि पर अधिकार मिला।
- आदिवासी विकास योजनाएं: झारखंड सरकार ने आदिवासी विकास योजनाओं के तहत विभिन्न कार्यक्रम चलाए, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, और कौशल विकास शामिल थे। इनमें सबसे प्रमुख “मुख्यमंत्री लघु वनोपज योजना” और “पंडित रघुनाथ मुर्मू ट्राइबल यूनिवर्सिटी” का गठन था, जो आदिवासी छात्रों के उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी।
- आदिवासी छात्रों के लिए 3500 करोड़ रुपये से अधिक की छात्रवृत्ति योजनाएं चलाई गईं, जिससे उच्च शिक्षा प्राप्त करने के अवसरों को बढ़ावा मिला। इसके अलावा, स्कूल ड्रॉपआउट दर को कम करने के उद्देश्य से आदिवासी बहुल क्षेत्रों में आवासीय विद्यालयों की स्थापना की गई।
- प्रधानमंत्री आवास योजना और बिरसा आवास योजना के तहत आदिवासी परिवारों को आवास सुविधाएं प्रदान की गईं। इस दौरान लगभग 1.5 लाख से अधिक आदिवासी परिवारों को नए घर प्रदान किए गए।
- झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में वन उत्पादों पर आधारित आदिवासियों की आजीविका में सुधार लाने के लिए वनोपज उत्पाद खरीद केंद्र खोले गए। सरकार ने लघु वनोपज पर समर्थन मूल्य भी तय किया ताकि आदिवासी लोगों को उनके उत्पादों का सही मूल्य मिल सके।
- आदिवासी इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए अटल क्लिनिक और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं का क्रियान्वयन हुआ, जिससे गरीब आदिवासी परिवारों को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हो सकें।
- आदिवासी क्षेत्रों में जल आपूर्ति और सिंचाई के लिए योजनाएं चलाई गईं, जिनमें नाबार्ड द्वारा समर्थित जल परियोजनाएं भी शामिल थीं, जो आदिवासियों के कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में सहायक रहीं।
- झारखंड कौशल विकास मिशन के तहत आदिवासी युवाओं को कौशल प्रशिक्षण देकर रोजगार के अवसर प्रदान किए गए। इसके अंतर्गत 1 लाख से अधिक आदिवासी युवाओं को विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिए गए।
- आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सरकार ने सखी मंडल और महिला स्वावलंबन योजनाएं चलाईं, जिनके तहत लगभग 50,000 से अधिक आदिवासी महिलाओं को स्व-रोजगार और छोटे उद्योग शुरू करने के लिए प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान की गई।
- झारखंड सरकार ने आदिवासी समुदाय की पारंपरिक संस्कृति, भाषा और कला को संरक्षित करने के लिए संथाली, मुंडारी, हो जैसी भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए।
5. औद्योगिक विकास और निवेश
झारखंड सरकार ने औद्योगिक निवेश और विकास के लिए 2016 में नई औद्योगिक नीति (Jharkhand Industrial and Investment Promotion Policy) लागू की। इसका उद्देश्य राज्य में बड़े पैमाने पर निवेशकों को आकर्षित करना और औद्योगिक विकास को गति देना था।
झारखंड में इन्वेस्टर समिट्स:
झारखंड ने 2017 में ‘मोमेंटम झारखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट‘ का आयोजन किया, जिसमें राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कंपनियों से कई निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। इस समिट में करीब 3.1 लाख करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए थे।
इसके तहत सरकार ने 210 MoU (Memorandum of Understanding) पर हस्ताक्षर किए, जिससे झारखंड में विभिन्न उद्योगों की स्थापना और विस्तार की संभावनाएं बनीं।
2014 से 2019 के बीच कई प्रमुख परियोजनाओं की नींव रखी गई। इनमें विशेष रूप से स्टील, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, और खनन उद्योग में निवेश हुआ।
- 2016-2017 के बीच झारखंड सरकार ने 70,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश जुटाया, जिसमें टाटा स्टील, JSW स्टील, और Vedanta जैसी कंपनियों ने भागीदारी की।
- इसके अलावा, फूड प्रोसेसिंग और कृषि आधारित उद्योगों में भी करीब 50,000 करोड़ रुपये के निवेश का लक्ष्य रखा गया।
रोजगार सृजन:
सरकार के अनुसार, 2014 से 2019 के बीच किए गए निवेश से 3 लाख से अधिक प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित किए गए।
इंफ्रास्ट्रक्चर विकास:
इस अवधि में झारखंड सरकार ने औद्योगिक पार्क, स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन (SEZ), और क्लस्टर आधारित विकास योजनाओं पर काम किया। कई औद्योगिक कॉरिडोर की योजना भी बनाई गई। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकार ने 35,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि अवसंरचना विकास के लिए आवंटित की।
खनन उद्योग:
झारखंड खनिज संसाधनों में समृद्ध है, और इस दौरान खनन क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित किया गया। 2014 से 2019 के बीच खनन क्षेत्र में 1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए, जिनसे राज्य के खनन उद्योग का विस्तार हुआ।
विद्युत और ऊर्जा क्षेत्र में निवेश:
ऊर्जा उत्पादन और वितरण के लिए भी बड़े निवेश किए गए। 2014 से 2019 के बीच ऊर्जा क्षेत्र में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया गया, जिससे राज्य की बिजली उत्पादन क्षमता में वृद्धि हुई।
स्टार्टअप और MSME सेक्टर में निवेश:
MSME (Micro, Small and Medium Enterprises) और स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने विशेष योजनाएं चलाईं। 2018 तक, MSME क्षेत्र में लगभग 15,000 करोड़ रुपये का निवेश किया गया, जिससे राज्य के छोटे और मझौले उद्योगों को गति मिली।
- मेक इन इंडिया: इस अभियान के तहत झारखंड में नई औद्योगिक इकाइयों को बढ़ावा दिया गया, खासकर माइनिंग और स्टील उत्पादन के क्षेत्र में।
- 2014 से 2019 के बीच झारखंड राज्य में औद्योगिक विकास और निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
Jharkhand
जेएमएम+कांग्रेस गठबंधन सरकार (2019-24):
- गांव और ग्रामीण विकास
- नल से जल योजना: जेएमएम सरकार ने हर घर में शुद्ध पेयजल पहुँचाने की दिशा में काम किया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट को कम करने का प्रयास किया गया।
- पलायन रोकथाम योजना: ग्रामीण रोजगार को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय स्तर पर कृषि आधारित रोजगार और उद्योग स्थापित करने की योजनाओं पर जोर दिया गया।
- आदिवासी ग्राम विकास योजना: आदिवासी समुदायों के लिए विशेष विकास योजनाओं की शुरुआत की गई, जिनमें उनके सामाजिक और आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- गरीबी उन्मूलन
- सरकार ने ‘झारखंड गरीब कल्याण योजना’ के तहत गरीबों को सीधा आर्थिक लाभ पहुंचाने की योजनाएं चलाईं। 2021-22 में 10 लाख से अधिक गरीब परिवारों को वित्तीय सहायता दी गई।
- मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम): झारखंड में मनरेगा के तहत बड़ी संख्या में रोजगार प्रदान किया गया है। 2019-2022 के बीच, मनरेगा के अंतर्गत रोजगार पाने वाले लोगों की संख्या में सुधार हुआ है। उदाहरण के लिए, गढ़वा जिले में 2019 में 1.47 लाख लोगों को रोजगार मिला, जो 2021-22 में 2.81 लाख हो गया। इसी तरह अन्य जिलों में भी रोजगार में वृद्धि दर्ज की गई।
- सरकारी योजनाएं: झारखंड सरकार ने पलाश योजना और फूलो झानो आशीर्वाद योजना जैसी योजनाओं को लागू किया है, जिससे महिलाओं को रोजगार और आत्मनिर्भरता का अवसर मिला है। इसके अलावा, अंत्योदय योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार और स्वरोजगार के अवसर प्रदान किए गए।
- गरीबी में कमी के लिए प्रयास: राज्य सरकार ने स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के माध्यम से गरीबी घटाने का प्रयास किया है। पीएम-किसान योजना और मुख्यमंत्री आहार योजना जैसी योजनाओं के जरिए किसानों और गरीबों को सहायता प्रदान की जा रही है, जो गरीबी घटाने में मददगार साबित हो रही हैं।
- गरीबी दर: नीति आयोग के अनुसार, झारखंड 2019-2024 में भी देश के सबसे गरीब राज्यों में गिना जाता रहा। हालांकि, सरकार ने गरीबी घटाने के लिए कई कदम उठाए हैं, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में। राज्य में गरीबी की दर में गिरावट दर्ज की गई है, लेकिन यह अभी भी उच्च बनी हुई है।
- रोजगार
- जेएमएम-कांग्रेस (2019-24): इस दौरान मनरेगा के तहत रोजगार को बढ़ावा दिया गया, विशेष रूप से महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की उपलब्धता सुनिश्चित की गई। सरकार ने 2021-22 में 6.15 लाख मनरेगा कार्ड वितरित किए और 65 करोड़ कार्य दिवस बनाए।
- झारखंड सरकार ने 2019 से 2024 के बीच रोजगार सृजन के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इस अवधि में रोजगार के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई है। 2021 के झारखंड औद्योगिक एवं निवेश प्रोत्साहन नीति (JIIPP) के तहत, सरकार ने 12 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश आकर्षित करने का लक्ष्य रखा, जिससे लगभग 5 लाख नए रोजगार उत्पन्न होने का अनुमान है। इसके अलावा, इथेनॉल उत्पादन में झारखंड सरकार ने 2022 में एक नीति लागू की, जिससे विभिन्न संयंत्रों की स्थापना से 5000 से अधिक प्रत्यक्ष नौकरियों का सृजन हुआ है।
- इस अवधि में, COVID-19 के प्रभाव के बावजूद, राज्य ने औद्योगिक विकास, कृषि आधारित और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में कई नई नौकरियां प्रदान की हैं। 2021-22 की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड में बेरोजगारी दर अब भी कोविड से पहले के स्तर से ऊपर है, लेकिन सरकार के प्रयासों से यह धीरे-धीरे सुधार की ओर अग्रसर है।
- आदिवासी और पिछड़े वर्गों का विकास
- आदिवासी अधिकारों की सुरक्षा: जेएमएम सरकार ने भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन किया और आदिवासी भूमि की सुरक्षा के लिए सख्त कानून बनाए।
- पेसा अधिनियम का कार्यान्वयन: आदिवासी क्षेत्रों में पंचायती राज व्यवस्था को और सशक्त करने के लिए पेसा अधिनियम को प्रभावी ढंग से लागू किया गया।
- सामाजिक विकास योजनाएं: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ई-स्कॉलरशिप योजना और ई-पासपोर्ट योजना के माध्यम से आदिवासी छात्रों को उच्च शिक्षा और वैश्विक अवसरों की सुविधा प्रदान की है। इसके अलावा, आदिवासी क्षेत्रों में 7,000 से अधिक गांवों में बुनियादी सुविधाओं का विस्तार किया गया।
- आर्थिक सशक्तिकरण: झारखंड सरकार ने सिद्धो-कान्हू कृषि योजना और फॉरेस्ट राइट्स एक्ट को मजबूती से लागू किया है, जिससे आदिवासियों को भूमि अधिकार और कृषि में वित्तीय सहायता मिली है। इस अवधि में झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों में रोजगार और स्वरोजगार बढ़ाने के लिए मनरेगा और झारखंड उद्यमिता योजना जैसी योजनाओं का भी लाभ हुआ।
- स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचा: स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार लाने के लिए सरकार ने कई स्वास्थ्य केंद्र स्थापित किए और आदिवासी बहुल क्षेत्रों में विशेष टीकाकरण अभियान चलाए गए। इन पहलों के माध्यम से आदिवासी समुदाय को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलीं।
- झारखंड ट्राइबल डेवलपमेंट सोसाइटी (JTDS): आदिवासी समुदायों की आजीविका में सुधार के लिए JTDS ने विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से स्थानीय उद्योगों और कौशल विकास पर जोर दिया।
- आदिवासी सांस्कृतिक केंद्र: आदिवासी कला, संस्कृति और परंपरा को संरक्षित करने के लिए विभिन्न सांस्कृतिक केंद्रों और संग्रहालयों का निर्माण किया गया।
- आदिवासी युवाओं के स्टार्टअप और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न वित्तीय सहायता योजनाएं शुरू की गईं। इनमें कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करना और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए प्रशिक्षण शामिल था।
- औद्योगिक विकास और निवेश
- स्थानीय उद्यमियों को प्रोत्साहन: जेएमएम सरकार ने स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने और छोटे एवं मध्यम उद्योगों (MSME) के विकास के लिए योजनाएँ लागू कीं।
- सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर जोर: प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और स्थानीय लोगों की आजीविका को ध्यान में रखते हुए सस्टेनेबल डेवलपमेंट की दिशा में काम किया गया।
- 2019 से 2024 के बीच झारखंड राज्य में औद्योगिक विकास और निवेश में महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई है। इस अवधि के दौरान राज्य सरकार ने कई बड़े निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर किए और औद्योगिक नीतियों में बदलाव किए, जिससे औद्योगिक विकास को गति मिली।
- औद्योगिक नीति 2021: झारखंड सरकार ने 2021 में नई औद्योगिक और निवेश संवर्धन नीति की घोषणा की। इस नीति के तहत लगभग 10,000 करोड़ रुपये के निवेश समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, जिससे लगभग 20,000 प्रत्यक्ष और 1.5 लाख अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न हुए। प्रमुख निवेशक कंपनियों में टाटा स्टील, सेल (SAIL), और डालमिया ग्रुप शामिल थे।
- माइनिंग और मेटल इंडस्ट्री: झारखंड भारत के कोयला, लोहा, और अन्य खनिजों का एक प्रमुख उत्पादक है। राज्य में खनन आधारित उद्योगों में भी निवेश बढ़ा है। इस दौरान टाटा स्टील ने 3,000 करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की, जबकि सेल ने 4,000 करोड़ रुपये का निवेश किया।
- नई सेक्टरों में विस्तार: खनन और धातु उद्योग के अलावा, राज्य सरकार ने पर्यटन, नवीकरणीय ऊर्जा, खाद्य प्रसंस्करण, ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे नए क्षेत्रों में निवेश को प्रोत्साहित किया। खासकर, आदित्यपुर इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर राज्य में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है।
- सौर ऊर्जा और अक्षय ऊर्जा: झारखंड जल्द ही भारत का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट स्थापित करेगा। इस दिशा में अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में भी भारी निवेश हुआ है, जो भविष्य में राज्य के ऊर्जा उत्पादन को और सशक्त बनाएगा।
- निर्यात में वृद्धि: झारखंड तसर सिल्क के उत्पादन में भी अग्रणी रहा है और इसे यूएस, यूके, जर्मनी, फ्रांस जैसे देशों में निर्यात किया जा रहा है। इस दौरान राज्य ने टेक्सटाइल और एपेरल उद्योग में भी निवेश आकर्षित किया, जिससे छोटे और मध्यम आकार के उद्योगों को बढ़ावा मिला।
- कुल औद्योगिक निवेश:
- 2019 से 2024 के बीच झारखंड में कुल औद्योगिक निवेश ₹1.25 लाख करोड़ के आसपास रहा।
- राज्य सरकार द्वारा उद्योगों को आकर्षित करने के लिए “झारखंड इंडस्ट्रियल एंड इन्वेस्टमेंट पॉलिसी 2021” लागू की गई, जिससे बड़ी संख्या में घरेलू और विदेशी कंपनियों ने निवेश किया।औद्योगिक इकाइयों की स्थापना:
- इस अवधि में राज्य में 500 से अधिक नई औद्योगिक इकाइयों की स्थापना हुई। इनमें से अधिकांश निवेश स्टील, खनन, ऊर्जा, और ऑटोमोबाइल क्षेत्रों में हुआ।
- इन इकाइयों के माध्यम से राज्य में रोजगार के कई नए अवसर उत्पन्न हुए हैं, जिससे आर्थिक विकास को बढ़ावा मिला।
विदेशी निवेश (FDI):
- झारखंड में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को भी बढ़ावा मिला, विशेषकर खनन, मैन्युफैक्चरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में। अनुमानित ₹15,000 करोड़ का विदेशी निवेश राज्य में आया।
बिजली उत्पादन और वितरण:
- इस अवधि में झारखंड सरकार ने बिजली उत्पादन और वितरण में भी भारी निवेश किया, जिसके चलते उद्योगों के लिए बिजली की आपूर्ति में सुधार हुआ।
- राज्य ने 2022 तक 4000 मेगावाट से अधिक बिजली उत्पादन क्षमता स्थापित की, जिससे औद्योगिक क्षेत्र को निरंतर बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जा सके।
रोजगार के अवसर:
- 2019 से 2024 के बीच राज्य में 2 लाख से अधिक नए रोजगार अवसर सृजित हुए। इसमें से अधिकांश अवसर खनन, मैन्युफैक्चरिंग, कृषि-आधारित उद्योगों, और सेवा क्षेत्र में बने।
इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास:
- राज्य में बेहतर इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास के लिए सड़कों, रेल और हवाई अड्डों में सुधार पर भी जोर दिया गया। इससे उद्योगों को बेहतर परिवहन सुविधाएँ उपलब्ध हो सकीं और निवेशकों का विश्वास बढ़ा।
नवाचार और स्टार्टअप संस्कृति:
- राज्य सरकार ने स्टार्टअप और नवाचारों को भी प्रोत्साहित किया। झारखंड स्टार्टअप पॉलिसी 2022 के तहत कई नई कंपनियों को आर्थिक और तकनीकी सहायता प्रदान की गई, जिससे राज्य में तकनीकी और सेवा क्षेत्र में भी निवेश बढ़ा।