BRICS SUMMIT 2024 : इतिहास, महत्व और वर्तमान परिप्रेक्ष्य

BRICS SUMMIT 2024: इतिहास, महत्व और वर्तमान परिप्रेक्ष्य

BRICS 2024 सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण मुद्दे और बहसें उभर रही हैं, जो इस संगठन की वर्तमान स्थिति और भविष्य की दिशा को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं।

मुख्य मुद्दे:

  1. BRICS विस्तार: 2024 में BRICS ने छह नए देशों (सऊदी अरब, ईरान, UAE, अर्जेंटीना, मिस्र, इथियोपिया) को शामिल किया। यह विस्तार वैश्विक शक्ति संतुलन को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इसके पीछे का उद्देश्य अधिक बहुध्रुवीय विश्व का निर्माण करना और पश्चिमी देशों के वर्चस्व को चुनौती देना है। हालांकि, यह भी चर्चा का विषय है कि इन देशों का जोड़ आर्थिक प्रभाव को कितना बढ़ाएगा, और क्या यह व्यापार में डॉलर के प्रभुत्व को कम कर पाएगा
  2. डॉलर से डी-डॉलराइजेशन (De-dollarization): BRICS सदस्य देश, विशेष रूप से चीन और रूस, वैश्विक व्यापार में अमेरिकी डॉलर के बजाय अपनी मुद्राओं का उपयोग करने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। इस संबंध में बहस यह है कि क्या यह रणनीति दीर्घकालिक रूप से सफल हो सकती है, क्योंकि अभी केवल 15% वैश्विक व्यापार ऊर्जा से संबंधित है, और अन्य क्षेत्रों में डॉलर का प्रभुत्व जारी है।
  3. यूक्रेन संघर्ष और वैश्विक राजनीति: रूस-यूक्रेन युद्ध ने BRICS देशों के भीतर असहमति पैदा की है, खासकर भारत और चीन के बीच। इस परिदृश्य में, संगठन के राजनीतिक एजेंडे को किस प्रकार संतुलित किया जाए, यह एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
  4. नई विश्व व्यवस्था: BRICS का एक प्रमुख उद्देश्य है पश्चिमी देशों के नेतृत्व वाली मौजूदा वैश्विक संस्थाओं (जैसे IMF और विश्व बैंक) को चुनौती देना और दक्षिणी गोलार्ध के देशों के लिए अधिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना। इस मुद्दे पर बहस है कि क्या BRICS+ इस दिशा में ठोस कदम उठा पाएगा, और क्या यह G7 जैसे समूहों को सशक्त रूप से चुनौती दे सकेगा।

बहसें और चुनौतियां:

  • विभिन्न देशों के बीच असमानता: BRICS में शामिल देशों के भीतर आंतरिक असमानताएं, जैसे चीन और भारत के बीच भू-राजनीतिक तनाव, रूस पर पश्चिमी प्रतिबंध, और अन्य सदस्यों की आर्थिक स्थिति, संगठन की एकजुटता और कार्यक्षमता पर प्रश्न उठाती हैं।
  • विकासशील देशों का भविष्य: BRICS के विस्तार के साथ, यह सवाल भी उठता है कि नए शामिल देशों की आर्थिक चुनौतियों का समाधान कैसे होगा, और क्या वे संगठन की दीर्घकालिक रणनीतियों में एकीकृत हो पाएंगे।

BRICS 2024 के सम्मेलन में ये सभी मुद्दे गंभीर बहस का हिस्सा रहे हैं, और संगठन की क्षमता को वैश्विक शक्ति संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव लाने की दिशा में एक परीक्षण के रूप में देखा जा रहा है।

 

BRICS शिखर सम्मेलन: इतिहास, महत्व और वर्तमान परिप्रेक्ष्य

परिचय
BRICS (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) दुनिया के पांच प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का समूह है। ये देश वैश्विक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करते हैं। इस लेख में BRICS सम्मेलन का इतिहास, इसका महत्व और हाल की प्रगति पर विस्तार से चर्चा की जाएगी।

BRICS का इतिहास


BRICS समूह की नींव 2001 में तब पड़ी जब गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्री जिम ओनील ने एक रिपोर्ट में BRIC (ब्राजील, रूस, इंडिया, और चीन) शब्द गढ़ा, जिसमें उन्होंने इन चार उभरती अर्थव्यवस्थाओं की तेज़ी से बढ़ती शक्ति और प्रभाव का उल्लेख किया। इन देशों की आर्थिक क्षमता और उनके विकास की दर ने उन्हें वैश्विक आर्थिक प्रणाली में एक महत्वपूर्ण स्थान पर स्थापित किया।

2009 में, रूस के येकातेरिनबर्ग में BRIC देशों का पहला शिखर सम्मेलन हुआ। यह शिखर सम्मेलन वैश्विक आर्थिक मुद्दों पर चर्चा और आपसी सहयोग को मजबूत करने के उद्देश्य से आयोजित किया गया था। 2010 में दक्षिण अफ्रीका को भी इस समूह में शामिल किया गया, जिसके बाद समूह को “BRICS” कहा जाने लगा। तब से BRICS देशों की बैठकें नियमित रूप से होती रही हैं, और ये वैश्विक आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर आपसी विचार-विमर्श का एक प्रमुख मंच बन गया है।

BRICS का महत्व

  1. वैश्विक आर्थिक शक्ति:
    BRICS देशों की संयुक्त अर्थव्यवस्था दुनिया की कुल जीडीपी का लगभग 25% है। यह समूह दुनिया की आबादी का लगभग 40% प्रतिनिधित्व करता है, जिससे यह वैश्विक अर्थव्यवस्था और राजनीति में एक प्रभावशाली भूमिका निभाता है। ये देश व्यापार, निवेश, और विकासशील देशों की आवाज़ को प्रमुख मंचों पर सामने रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  2. नए विकास बैंक (NDB):
    2014 में, BRICS देशों ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) की स्थापना की, जिसका उद्देश्य विकासशील देशों में बुनियादी ढांचे और सतत विकास परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है। NDB का मुख्यालय शंघाई में स्थित है, और यह वैश्विक वित्तीय संस्थानों के लिए एक विकल्प के रूप में कार्य करता है, जैसे कि विश्व बैंक और IMF
  3. सांस्कृतिक और तकनीकी सहयोग:
    BRICS सम्मेलन के माध्यम से ये देश केवल आर्थिक सहयोग पर ध्यान नहीं देते, बल्कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार, और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में भी सहयोग करते हैं। जैसे कि BRICS के अंतर्गत स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्रों में भी आपसी सहयोग को बढ़ावा दिया जाता है।
  4. वैश्विक शासन में सुधार:
    BRICS देशों का एक प्रमुख लक्ष्य वैश्विक संस्थानों में सुधार लाना है, जैसे कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व व्यापार संगठन, और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष। BRICS देशों का मानना है कि इन संस्थानों में सुधार की आवश्यकता है ताकि विकासशील देशों की आवाज़ अधिक सुनी जा सके और उन्हें निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में अधिक प्रभावी भागीदारी मिल सके।

वर्तमान परिप्रेक्ष्य और हाल की प्रगति
BRICS शिखर सम्मेलन समय-समय पर वैश्विक मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करता रहा है। हाल के वर्षों में, BRICS ने व्यापार और निवेश के क्षेत्रों में विस्तार करने पर जोर दिया है। 2023 का शिखर सम्मेलन जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ्रीका में आयोजित किया गया, जिसमें विकासशील देशों के बीच आपसी सहयोग को और मजबूत करने, बहुपक्षीयता को बढ़ावा देने, और पश्चिमी प्रभुत्व वाले वैश्विक संस्थानों में सुधार की आवश्यकता पर चर्चा की गई।

  1. डॉलर से स्वतंत्रता:
    BRICS देशों के बीच डॉलर-आधारित वैश्विक वित्तीय प्रणाली से स्वतंत्र होने के उपायों पर भी चर्चा की जा रही है। इसके तहत BRICS देशों ने आपसी व्यापार को अपनी-अपनी मुद्राओं में करने और डॉलर के प्रभुत्व को कम करने की योजना बनाई है। इसके साथ ही BRICS एक साझा मुद्रा की संभावना पर भी विचार कर रहा है जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता को कम कर सके।
  2. नए सदस्य:
    BRICS के विस्तार की भी संभावना है। कई विकासशील देश इस समूह में शामिल होने की इच्छा जाहिर कर चुके हैं, जैसे कि अर्जेंटीना, सऊदी अरब, और मिस्र। इससे समूह की वैश्विक ताकत और प्रभाव में और वृद्धि हो सकती है।
  3. डिजिटल और सतत विकास:
    BRICS देश सतत विकास और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों पर भी सक्रियता से काम कर रहे हैं। डिजिटल अर्थव्यवस्था और हरित ऊर्जा के क्षेत्रों में भी ये देश आपसी सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के बाद स्वास्थ्य सुरक्षा और चिकित्सा अनुसंधान के क्षेत्रों में भी संयुक्त प्रयास किए जा रहे हैं।

 

निष्कर्ष
BRICS सम्मेलन वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण मंच बन चुका है, जो आर्थिक, राजनीतिक, और सामाजिक मुद्दों पर उभरते देशों की आवाज़ को बुलंद करता है। BRICS देशों के बीच सहयोग ने वैश्विक वित्तीय प्रणाली में एक संतुलन स्थापित करने, बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने, और विकासशील देशों की प्राथमिकताओं को सामने रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। BRICS का भविष्य वैश्विक स्तर पर आर्थिक और राजनीतिक शक्ति संतुलन में और भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

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